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काशी….. जिसका उल्लेख अनन्त काल से इतिहास में आता रहा है….जो शिव की… सबसे प्यारी नगरी है….भोले शंकर के त्रिशूल पर विराजमान है….और यहां मां गंगा की लहरों के निकट स्वयं महादेव….. विराजमान होते है….इस काशी को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है…. यहां भारत वर्ष के कोने कोने से राजा-महाराजा.. धनाड्य व्यापारी….श्रद्धालु के रूप में तीर्थ करने आते रहे हैं…. और अपनी आस्था प्रगट करने के लिए कई मंदिरों का निर्माण भी कराते थे….ऐसे ही एक व्यापारी थे कोलकाता निवासी रायबहादुर राजा शिवबक्स जी बागला…… जिन्होंने 25 जवनरी 1887 को काशी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट…श्री श्री ईश्वर सत्यनारायणजी का मंदिर स्थापित किया था….
रामचिरत मानस में उल्लेख मिलता है कि जिसमें भगवान विष्णु कहते हैं कि शिवजी मेरे सर्वाधिक प्रीय है…इसलिए मेरी भक्ति उनके बिन अधूरी है…. इसलिए…. ऐसी मान्यता है कि….. महादेव का दर्शन…. भगवान विष्णु के…. दर्शन के साथ ही पूर्ण होता है……और इसी संकल्प के साथ यहां भक्तगण महादेव के दर्शन के बाद भगवान सत्यनारायण के दर्शन पाते हैं।
संकरी गलियों में घिरे भगवान विश्वनाथ के प्राचीन मंदिर को जब भव्य स्वरुप देने के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शुभारंभ हुआ तो सत्यनारायण भगवान के मंदिर को भी प्रतिस्थापित करना था…जो एक बहुत कठिन कार्य था….निर्माण कार्य शुरु हुआ और सत्यनारायण भगवान के विग्रह की प्रतिस्थापना का मूहुर्त तय हो गया.. साथ ही कई कठिनाईयां भी शुरु हो गयी…..वैश्विक महामारी कोरोना पुरी दुनियां को घेर रही थी……..लेकिन ये चमत्कार ही था कि भगवान के विग्रह को नये मंदिर परिसर में स्थापित करने के लिए जो मूहुर्त तय था उसी दिन ये कार्य पूर्ण हुआ…..इसके बाद जैसे ही मंदिर निर्माण का कार्य आगे बढ़ा दुनियां लॉकडाउन की गिरफ्त में आ गयी……अनेक समस्याओं से जूझते हुए इस मंदिर का कार्य पूर्ण कराया गया…जो किसी दैवीय शक्ति द्वारा ही संभव था….. भगवान की ऐसी कृपा की तमाम परेशानियों के बाद भी मंदिर निर्माण कार्य रुका नहीं….
135 वर्ष पूराना मंदिर काशी विश्वनाथ धाम के प्रवेश द्वार संख्या 2 सरस्वति फाट के निकट हुआ करता था जो अब उससे थोड़ा आगे विश्वनाथ कॉरिडोर के चारदिवारी से सटा हुआ है जो और भी भव्य और दिव्य प्रतीत होता है…..मंदिर में प्रवेश करते ही आप इस हॉल में पहुंचेगे जो विशेष तौर पर प्रवचन और सतसंग के लिए निर्मित किया गया है…इस भवन की दीवारों पर वो श्लोक लिखे है जिसमें भगावन विष्णु बताते है कि उन्हें शिव सबसे प्रीय है….और बिना शिव को भजे मेरी भक्ति पूर्ण नहीं मानी जाएगी…. इस हाल से आंगन में प्रवेश होता है जहां स्थित है मंदिर का गर्भ गृह जिसमें भगवान श्रीसत्यनारायणजी और माता लक्ष्मी विरोजमान हैं……… साथ ही भगवान शंकर एवं अन्य देवी देवता गण भी विराजमान है…….सत्यनारायण भगवान के इस मंदिर का निर्माण प्राचीन स्थापत्य शैली के अनुरूप कराया गया है जिससे यह मंदिर प्राचीनता का बोध कराता है…
ऐसा बताया जाता है कि काशी में इस मंदिर की स्थापना के बाद राजा शिवबक्स जी अपने व्यापार में दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करते गये…तभी से मान्यता है कि इस मंदिर में जो श्रद्धालु दर्शन करते है उनकी मनोवाक्षित कामनाएं पूर्ण होती है….
तो जब भी काशी पधारें औऱ श्री काशीविश्वनाथ का दर्शन करने के बाद सत्यनारायण भगवान का दर्शन अवश्य करें और मनोवांछित फल प्राप्त करें….
इस मंदिर में भक्तगण अपने घर….ऑफिस….दुकान एवं व्यापार स्थल पर रहते हुए भी वर्चुअल माध्यम से पूजन करवा सकते है इसके लिए आपकों बस नीचे दिये गये नंबर पर संपर्क करना है…..